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PM’s address at inauguration of Matushri K.D.P. Multi-Speciality Hospital in Atkot, Gujarat

by IP Staff

NEW DELHI:

गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल जी, गुजरात भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष सी आर पाटिल, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी पुरुषोत्तम रुपाला जी, मनसुख मंडाविया जी, डॉ. महेन्द्र मुंजपरा जी, हमारे वरिष्ठ नेता श्री वजुभाई वाला जी, श्री विजय रुपाणी जी, पटेल सेवा समाज ट्रस्ट के सभी ट्रस्टी, सभी दाता, विशाल संख्‍या में हमें आशीर्वाद देने के लिए यहां पधारे हुए पूज्य संतगण, गुजरात सरकार के अन्य मंत्रिगण, सांसदगण, विधायकगण, और यहां इतनी गर्मी के बावजूद भी आटकोट में बड़ी संख्या में आशीर्वाद देने के लिए आए हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

मुझे खुशी है कि आज यहां मातुश्री के.डी.पी. मल्टी-स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल का शुभारंभ हुआ है। ये हॉस्पिटल सौराष्ट्र में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने में मदद करेगा। जब सरकार के प्रयास में जनता का प्रयास जुड़ जाता है, तो सेवा करने की हमारी शक्ति भी अनेक गुना बढ़ जाती है। राजकोट में बना ये आधुनिक अस्पताल एक इसका बहुत बड़ा उत्‍तम उदाहरण है।

भाइयों और बहनों,

केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली NDA सरकार राष्ट्रसेवा के 8 साल पूरे कर रही है। आठ साल पहले आप सभी ने मुझे विदा किया था, परंतु आप सबका प्यार बढता ही जा रहा है। आज जब गुजरात की धरती पर आया हूं तो मैं सिर झुका करके गुजरात के सभी नागरिकों का आदर करना चाहता हूं। आपने मुझे जो संस्‍कार दिए, आपने मुझे जो शिक्षा दी, आपने जो मुझे समाज के लिए कैसे जीना चाहिए, ये जो सब बातें सिखाईं उसी की बदौलत गत आठ वर्ष मातृभूमि की सेवा में मैंने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। ये आप ही के संस्‍कार हैं, इस मिट्टी के संस्‍कार हैं, पूज्‍य बापू और सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की इस पवित्र धरती के संस्‍कार हैं कि आठ साल में गलती से भी ऐसा कुछ नहीं होने दिया है न ऐसा कुछ किया है जिसके कारण आपको या देश के किसी नागरिक को अपना सिर झुकाना पड़े।

इन वर्षों में हमने गरीब की सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास, इस मंत्र पर चलते हुए हमने देश के विकास को नई गति दी है। इन 8 सालों में हमने पूज्य बापू और सरदार पटेल के सपनों का भारत बनाने के लिए ईमानदार प्रयास किए हैं। पूज्य बापू एक ऐसा भारत चाहते थे जो हर गरीब, दलित, वंचित, पीड़ित, हमारे आदिवासी भाई-बहन, हमारी माताएं-बहनें, उन सबको सशक्त करे। जहां स्वच्छता और स्वास्थ्य जीवन पद्धति का हिस्सा बने, जिसका अर्थतंत्र स्वदेशी समाधानों से समर्थ हो।

साथियों,

तीन करोड़ से अधिक गरीबों को पक्के घर, 10 करोड़ से अधिक परिवारों को खुले में शौच से मुक्ति, 9 करोड़ से अधिक गरीब बहनों को धुएं से मुक्ति, ढाई करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को बिजली कनेक्शन, 6 करोड़ से अधिक परिवारों को नल से जल, 50 करोड़ से अधिक भारतीयों को 5 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज की सुविधा। ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं मेरे भाइयो-बहनों। ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं बल्कि गरीब की गरिमा सुनिश्चित करने के हमारे कमिटमेंट के ये प्रमाण हैं, प्रमाण साथियों।

भाइयों और बहनों,

गरीबों की सरकार होती है, तो कैसे उसकी सेवा करती है, कैसे उसे सशक्त करने के लिए काम करती है, ये आज पूरा देश देख रहा है। 100 साल के सबसे बड़े संकटकाल में, कोरोना महामारी के इस समय में भी देश ने ये लगातार अनुभव किया है। महामारी शुरु हुई तो, गरीब के सामने खाने-पीने की समस्या हुई, तो हमने देश के अन्न के भंडार देशवासियों के लिए खोल दिए। हमारी माताओं-बहनों को सम्‍मान से जीने के लिए जनधन बैंक खाते में सीधे पैसे जमा किए, किसानों और मज़दूरों के बैंक खाते में पैसे जमा किए, हमने मुफ्त गैस सिलेंडरों की भी व्यवस्था की ताकि गरीब की रसोई चलती रहे, उसके घर का चूल्हा कभी बुझ न पाए। जब इलाज की चुनौती बढ़ी तो, हमने टेस्टिंग से लेकर ट्रीटमेंट की सुविधाओं को गरीब के लिए सुलभ कर दिया। जब वैक्सीन आई तो, हमने ये सुनिश्चित किया कि हर भारतीय को वैक्सीन लगे, मुफ्त लगे। आप सब को वेक्सीन लगी है ना ? टीकाकरण हो गया है ना ? किसी को भी एक पाई भी चुकानी पडी है ? एक रुपिया भी खर्चा करना पडा है आपको ?

भाइयो-बहनों,

एक तरफ कोरोना का ये विकट समय, वैश्विक महामारी और आज, आजकल तो आप देख रहे हैं कि युद्ध भी चल रहा है। टीवी पर आधा समय युद्ध की खबरें हर किसी को चिंतित करती हैं। इन परिस्थितियों में भी हमने निरंतर प्रयास किया कि हमारे गरीब भाई-बहन को, हमारे मिडिल क्लास को, मध्‍यमवर्गीय भाई-बहनों को मुश्किल का सामना ना करना पड़े। अब हमारी सरकार सुविधाओं को शत-प्रतिशत नागरिकों तक पहुंचाने के लिए अभियान चला रही है। जो जिस बात का हकदार है उसे उसका हक मिलना चाहिए।

जब हर नागरिक तक सुविधाएं पहुंचाने का लक्ष्य होता है तो भेदभाव भी खत्म होता है, भ्रष्टाचार की गुंजाइश भी नहीं होती। न भाई-भतीजावाद रहता है, न जात-पात का भेद रहता है। इसलिए हमारी सरकार मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी योजनाओं को सैचुरेशन तक शत-प्रतिशत तक पहुंचाने में जी-जान से जुटी हुई है। राज्य सरकारों को भी हम लगातार इस काम के लिए प्रेरित कर रहे हैं, सहायता कर रहे हैं। हमारा ये प्रयास देश के गरीब को, देश के मध्यम वर्ग को सशक्त करेगा, उनका जीवन और आसान बनाएगा।

और आज जब यहाँ जसदण में पहला सुपर स्पेश्यालिटी होस्पिटल और आटकोट में, मैं यहां आया और होस्पिटल देखने जाने का मौका मिला। तमाम दाताओं और ट्रस्टियों से मिलने का मौका मिला। और ट्रस्टियों ने मुझे कहा साहब, पीछे मुडकर देखना मत, यहाँ कोई भी आएगा, वह वापस नहीं जायेगा। यह ट्रस्टी के शब्द और उनकी भावना और एक आधुनिक हॉस्पिटल अपने घर-आंगन। मैं भरतभाई बोघरा को, पटेल सेवा समाज के सभी साथियों को, जितना अभिनंदन करूं उतना कम है। पटेल सेवा समाज ने समर्पित भाव से आज जो बडा काम किया है, उसके लिए आप सभी अभिनंदन के अधिकारी है। और इसमें से प्रेरणा लेकर आप सब समाज के लिए कुछ करने की इच्छा रखते है।

सामान्य तौर पर कोई फैक्ट्री का उद्घाटन करने गए हो, कोई बस स्टेशन का उद्घाटन करने गये हो, रेलवे स्टेशन का उद्घाटन करने गए हो, तो अपने मन से कहते है भाई आपका सब काम खूब आगे बढे, लोग प्रयास करें, फैक्ट्री में उत्पादन अच्छा हो । लेकिन अब हॉस्पिटल के लिए क्या कहे, बताइए। अब मैं ऐसा तो नहीं कह सकता कि हॉस्पिटल भरा रहे। इसलिए मैंने उद्घाटन तो किया है, परंतु हम समाज में ऐसा स्वास्थ्य का वातावरण बनायें, कि हॉस्पिटल खाली के खाली रहें। किसी को आने की जरूरत ही ना पड़े। और जो सब स्वस्थ हो, तो कभी भी किसी को आना ही नहीं पड़ेगा। और जब आने की जरुरत पडे, तो पहले से भी ज्यादा स्वस्थ होकर अपने घर पर जायें। ऐसा काम इस हॉस्पिटल में होने वाला है। आज गुजरात में आरोग्य के क्षेत्र में जो गति मिली है, जो ईन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार हुआ है, जिस स्तर पर काम हो रहा है, भूपेन्द्रभाई और उनकी समग्र टीम को दिल से अनेक-अनेक शुभकामना देता हुं। और इसका लाभ गुजरात के कोने-कोने में सामान्य से सामान्य मनुष्य को मिलने वाला है। आज हमारा यह राजकोट तो ऐसी जगह है, कि आसपास के तीन-चार जिलों को लगे कि यह हमारे पास ही है। बस यह निकले तो आधा घंटा या एक घंटे में पहुंच सकते है। आप सब जानते ही हो कि, अपने यहां राजकोट में गुजरात को जो एम्स मिली है, उसका काम राजकोट में तेज गति से चल रहा है।

थोडे समय पहले मैं जामनगर आया था, और जामनगर में विश्व का ट्रेडीशनल मेडिसीन सेन्टर, WHO के द्वारा अपने जामनगर में उसका शिलान्यास हुआ है। एक तरफ जामनगर में आर्युवेद और दूसरी तरफ मेरे राजकोट में एम्स, और आटकोट में। हां, बापू आपकी तो शान बढ़ गई। मित्रों, दो दशक पहले मुझे आपकी सेवा करने का मौका आपने मुझे दिया। 2001 में तब अपने गुजरात में सिर्फ और सिर्फ 9 मेडिकल कोलेज थी। यह सब आप लोग याद रखते हो कि भूल जाते हो ? यह नई पीढ़ी को बताना । नहीं तो उनको पता ही नहीं होगा कि क्या हाल था। सिर्फ 9 मेडिकल कॉलेज और डॉक्टर बनने की कितने लोगों की इच्छा होती थी। तब मात्र 1100 बैठक थी, जिसमें डॉक्टर बनने के लिए अभ्यास कर सके। इतना बड़ा गुजरात, 2001 में पहले मात्र 1100 बैठक। और आपको जानकर आनंद होगा कि, आज सरकारी और प्राइवेट कॉलेज मिलाकर 30 मेडिकल कोलेज सिर्फ गुजरात में हैं। और इतना ही नहीं गुजरात में भी, और देश में भी हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज बनाने की इच्छा है। MBBS और PG, की मेडिकल सीटें एक जमाने में 1100, और आज 8000 सीट है 8000 ।

भाईयों-बहनों, उसमें भी हमने नया साहसिक काम किया है। आप लोग बताएं गरीब मां-बाप के बच्चे को डॉक्टर बनने की इच्छा हो या ना हो? जरा कहिए तो पता चले, हो या ना हो? आप उनसे परंतु उन्हें पहले पूछे कि, आप अंग्रेजी माध्यम पढ़े हो या गुजराती में। अगर अंग्रेजी में पढ़े हो तो डॉक्टर बनने के दरवाजे खुलेंगे। अगर आप गुजराती मीडियम में पढ़े हो तो डॉक्टर बनने के सारे रास्ते बंद। अब यह अन्याय है कि नहीं, अन्याय है कि नहीं भाई ? हमने नियमों को बदला, और निर्णय लिया कि डॉक्टर बनना हो, या इंजीनियर बनना हो तो मातृभाषा में भी अभ्यास कर सकते है। और लोगों की सेवा की जा सके।

मित्रो, डबल इंजन की सरकार, डबल लाभ तो होगा ही ना, होगा की नहीं होगा ? और अपने गुजरात वालों को समझाना पड़ेगा कि, मामा के घर भोजन करने गये हो, और परोसने वाली अपनी माँ हो, तो इसका अर्थ समझना पड़ेगा? य़ह डबल ईजन की सरकार ने गुजरात के विकास को नई उंचाई पर पहुंचाने का काम किया है। विकास के सामने आने वाली तमाम अडचनो को दूर किया है। और तेज गति से विकास का लाभ गुजरात को मिल रहा है। 2014 के पहले गुजरात में ऐसे अनेक प्रोजेक्ट थे, कि दिल्‍ली में ऐसी सरकार थी, यहां से प्रोजेक्ट जायें तो उनको प्रोजेक्ट नहीं दिखता था। उनको अंदर मोदी ही दिखता था। और ऐसा दिमाग खराब हो जाता था, कि तुरंत ही केन्सल-रिजेक्ट। तमाम कामो में ताले लगा दिये थे। इतनी सारी उदासीनता, अपनी माता नर्मदा, आप सोचिए यह लोग नर्मदा मैया को रोककर बैठे थे। यह सरदार सरोवर डेम बनाने के लिए हमें उपवास करना पडा था। याद है ना ? याद है ना साथीयों ? और यह उपवास रंग लाया और सरदार सरोवर डेम बन गया। सौनी योजना बन गई। और नर्मदा मैया ने कच्छ-काठियावाड की धरती पर आकर हमारे जीवन को उज्जवल बनाया। यह काम होता है हमारे यहां। और अब तो सरदार सरोवर, सरदार वल्लभभाई पटेल, पूरे दुनिया में सबसे बडा स्टेच्यु, पूरी दुनिया में सरदार साहब का नाम गूंज रहा है। और लोग जाते है तो आश्चर्य होता हो कि, अपने गुजरात में इतना बडा काम, इतनी जल्दी। यही तो गुजरात की ताकत है भाई।

इन्फ्रास्ट्रक्चर के तेज विकास का लाभ गुजरात को मिला है। अभूतपूर्व स्पीड से, अभूतपूर्व स्केल पर आज गुजरात में इन्फ्रास्ट्रक्चर का काम आगे बढ रहा है। इसका लाभ गुजरात के तमाम विस्तारों को मिला है। एक जमाना था, कि उधोग का नाम हो तो सिर्फ और सिर्फ वडोदरा से वापी। नेशनल हाई-वे से जायें, तो उनके आसपास सब कारखाने दिखें। यहीं अपना औद्योगिक विकास था। आज आप गुजरात के किसी भी दिशा में जायें छोटे-बडे उद्योग, कारखाने तेज गति से चल रहे है। अपना राजकोट का इंजीनियरिंग उद्योग बडी-बडी गाड़ियां कहीं भी बनती हो, गाड़ी छोटी बनती हो या बड़ी बनती हो, परंतु उसका छोटे से छोटा पुर्जा आपके राजकोट से जाता है। आप सोचिये, अहमदाबाद–मुंबई बुलेट ट्रेन, हाईस्पीड ट्रेन का तेज गति से काम चल रहा है। वेस्टर्न डेडिकेटेड कॉरिडोर मुंबई से दिल्ली तक, और उसमें लॉजिस्टिक की व्यवस्था का काम तेज गति से चल रहा है। इन सबका लाभ गुजरात का हाई-वे जब चौडा हो, डबल-त्रिपल छ लाईन, और यह सब गुजरात के बंदरगाहों की ताकत बढानें में मदद करेगा। ऐर-कनेक्टीवीटी, आज गुजरात में अभूपूर्व विस्तार देखने को मिल रहा है। और रो-रो फेरी सर्विस, मुझे याद है कि जब हम छोटे थे तब अखबारो में पढते कि यह रो-रो फेरी सर्विस क्या है? मैं मुख्यमंत्री बना तब मैंने पूछा कि भाई यह है क्या ? किस कोने में है? बचपन से सुनते आ रहे थे, आज रो-रो फेरी सर्विस चालू हो गई है। और यह लोग 300-350 किलोमीटर के बदले, सूरत से काठियावाड़ आना हो तो आठ घंटा बचाकर गिनती के समय में हम पहुंच जाते है।

विकास कैसे होता है, यह आज हमने देखा है। MSME गुजरात की सबसे बडी ताकत बनकर उभरा है। पूरे सौराष्ट्र के अंदर एक जमाना था, नमक के सिवाय कोई उद्योग नहीं था, काठियावाड़ खाली हो रहा था, रोजी-रोटी कमाने के लिए कच्छ-काठियावाड़ के लोगों को हिंदुस्तान के कोने-कोने में भटकना पड़ता था। लेकिन आज हिन्दुस्तान के लोगों को कच्छ-काठियावाड आने का मन होता है। बंदरगाह धमधमा रहे है, यह गुजरात की छवि बदली है मित्रों। अपने मोरबी का टाइल्स का उद्योग दुनिया में डंका बज रहा है।

हमारा जामनगर का ब्रास का उधोग, दुनिया में उसकी पहुंच बढी है। अब तो फार्मा इन्डस्ट्री, दवा की कंपनीयों, एक जमाने में सुरेन्द्रनगर के पास दवा की कंपनी आयें उसके लिए गुजरात की सरकार इतनी सारी ओफर देती थी। लेकिन कुछ हो नहीं रहा था। आज दवा की बडी-बडी कंपनीयां गुजरात और सौराष्ट्र की धरती पर अडींगा जमाकर आगे बढ रही है भाई। अनेक विस्तार ऐसे है, जिसमें गुजरात तेज गति से आगे बढ रहा है। और इस कारण भाईओ-बहनों गुजरात के औधोगिक विकास का जो कोई लाभ हो, उसमें वन डिस्ट्रीक्ट-वन प्रोडक्ट का अभियान पूरे देश में चला है। और सौराष्ट्र की पहचान भी है। और वह हमारे काठियावाड़ की पहचान, हमारे कच्छ की पहचान, हमारे गुजरात की पहचान, साहसिक स्वभाव, खमीर जीवन, पानी के अभाव के बीच में भी जिंदगी जीने वाला गुजरात का नागरिक आज खेती के क्षेत्र में भी अपना डंका बजा रहा है। यहीं गुजरात की ताकत है भाइयों, और ताकत को प्रगति के रास्ते पर ले जाने के लिए, सरकार दिल्‍ली में बैठी हो, या सरकार गांधीनगर में बैठी हो, हम चारों दिशा में आगे बढ रहे है भाईओं।

आज जब आरोग्य की इतनी सारी सुविधाएं बढ रही है, तब मेरी तरफ से इस विस्तार के सभी नागरिको को बधाई देता हुं। आप विश्वास रखियेगा, अभी भूपेन्द्रभाई कह रहे थे, PMJAY योजना, आयुष्मान योजना दुनिया की बड़ी से बड़ी योजना अपने यहां चल रही है। अमेरिका की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा लोग, इसका लाभ ले ऐसी योजना अपने यहां चल रही है। यूरोप के देशों की जनसंख्या से भी ज्यादा लोग लाभ ले, ऐसी योजना भारत में चल रही है। 50 करोड़ लोगों को आयुष्मान कार्ड के द्वारा गंभीर से गंभीर रोग हो, पांच लाख रुपये तक की बीमारी का खर्च सरकार उठाती है, भाइयों-बहनों सरकार।

भाइयों, गरीबी और गरीब की परेशानी, यह मुझे पुस्तक में पढ़ना नहीं पड़ा, टीवी के परदे पर नहीं देखना पड़ा, मुझे पता है कि गरीबी में जीवन कैसे जीया जाता है। आज भी अपने समाज में माता-बहनों को बीमारी हो, पीडा होती तो भी परिवार में किसी को कहती नहीं है, पीड़ा सहन करती है, और घर का काम करती है, और अगर घर में कोई बीमार हो तो उसका भी ध्यान रखती है। खुद को होनेवाले दर्द की बात माता-बहनें किसी को कहती नहीं। और जब बढ़ जायें तो भगवान को प्रार्थना करती है, कि मुझे उठा लो। मेरी वजह से मेरे बच्चे दुखी हो रहे है। बेटा-बेटी को पता चले तो, कहे मां हम कोई अच्छी होस्पिटल में जाकर ईलाज कराते है। तब मां कहती है, भाई इतना सारा कर्जा हो जायेगा, और अब मुझे कितना जीना है। और तुम लोग कर्जे में डूब जाओगे, तुम्हारी पीढ़ी पूरी डूब जाएगी, भगवान ने जितने दिन दिए है, उतने दिन जिऊंगी। हमें हॉस्पिटल नहीं जाना। हमें कर्जा लेकर दवा नहीं कराना। हमारे देश की माता-बहनें पैसे के कारण उपचार नहीं कराती थी। बेटा कर्जे में ना डूब जाये उस कारण हॉस्पिटल नहीं जाती थी।

आज वह माताओं के लिए दिल्‍ली में एक बेटा बैठा है, माताओं को दुख ना हो, उनको ऑपरेशन की जरूरत हो, पैसे के कारण ऑपरेशन रुके नहीं उसके लिए आयुष योजना चलाई है। और मुझे खुशी है कि इस हॉस्पिटल में भी, आयुष्मान कार्ड लेकर आने वाले व्यक्ति को सरकार की योजना का पूरा लाभ मिलने की व्यवस्था की गई है। और इस कारण किसी को अपनी जेब में से रुपये देकर इलाज कराना पड़े ऐसा दिन नहीं आएगा। आप सोचिए जन औषधि केन्द्र, मध्यमवर्गीय परिवार हो, फिक्स्ड इनकम हो, और परिवार में एक वृद्ध को मानो कि डायबिटीज का रोग हो, तो उसे महीने में 1200-1500 कि दवा करानी पड़ती है। उसे रोज इंजेक्शन लेना पडे या फिर गोली खानी पडे। और इतनी महंगी दवा, सामान्य़ मध्यमवर्गीय परिवार का क्या हो ? अपने हिन्दुस्तान के कोने-कोने में जनऔषधि केन्द्र खोले गए है, और जो दवा के महीने में 2000 का खर्चा होता हो, वह दवा 100 रुपये मिले, और किसी को भी दवा के बिना दुखी न होना पडे। इसलिए हिंदुस्तान में सैकड़ों की मात्रा में जन औषधि केन्द्र चलाये जा रहे हैं। और जिसके कारण सामान्य़ मनुष्य सस्ते में दवा लेकर खुद के शरीर के सुखकारी के लिए, कोई भी नये बोझ के बिना व्यवस्था को संभाल सकता है।

भाइयों-बहनों स्वच्छता, पानी, पर्यावरण यह सब चीजें स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस स्वास्थ्य के लिए हम चला रहे है। मेरी आप सभी से यही प्रार्थना है कि, आप सबका स्वास्थ्य उत्तम रहे, तंदुरुस्त रहो, अपने गुजरात का एक एक बच्चा स्वस्थ रहे, अपने गुजरात का भविष्य तंदुरस्त रहे, उसके संकल्प के साथ आज इस शुभ अवसर पर समाज के सभी आगेवानो को दिल से शुभकामना देता हूं। दाताओं को शुभकामना देता हूं, उन दाता की माताओं को शुभकामना देता हूं, जिसने ऐसे संतानों को, ऐसे संस्कार देकर बड़ा किया। जिन्होंने समाज के लिए इतना बड़ा काम किया है। उन सबको शुभकामना देकर आप सबको प्रणाम करके, आप लोगों ने इतना प्यार बरसाया, लाखों की संख्या में इतनी गर्मी में आपका यहां आना, यही आशीर्वाद मेरी सबसे बडी ताकत है। यही मेरा धन है। हजारो बहनों अपनी काठियावाड़ी परंपरा के रूप में कलश सिर पर रखकर धूप में खड़े रहकर मुझे आशीर्वाद दे रही थी। अपनी माताओं-बहनों, सर्व समाज की बहनें अपने घर में कोई अवसर हो उस तरह मुझे आशीर्वाद दिया है। मैं वह तमाम माताओं-बहनो को प्रणाम करता हुँ। उनके आर्शिवाद के अनुरूप भारत की और गुजरात की सेवा करता रहूं। यह आपका आशीर्वाद रहे। खूब-खूब धन्यवाद।

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